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navratri kab se shuru hai

Navratri Kab se Shuru Hai

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हम सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म(Hindu Religion) में नवरात्रि(Navratri) का कितना खास महत्व है, नौ दिनों तक मां के अलग-अलग रुपों की पूजा बेहद धूम-धाम के साथ की जाती है। नवरात्रि(Navratri) के पहले दिन घट स्थापना(Ghat Sthaapana) के साथ ही मां की पूजा शुरु हो जाती है और पंडालों(Pandals) में मा दुर्गा की प्रतिमा(Image) स्थापित कर दी जाती है।

navratri kab se shuru hai
Navratri kab se shuru Hai

भारत के विभिन्न क्षेत्रों(Region) में नवरात्रि(Navratri) को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। कई लोगों के लिए यह धार्मिक चिंतन(religious thought) और उपवास(Fast) का समय है, जबकि अन्य लोगों के लिए यह नृत्य और दावत(dance and feast) का समय है। उपवास के रीति-रिवाजों(customs) में सख्त शाकाहारी भोजन(strict vegetarian diet) और कुछ मामलों में शराब(Alcohol) से परहेज करना शामिल है।

आमतौर पर, त्योहार की नौ रातें दैवीय स्त्री सिद्धांत(Divine Feminine principle), या शक्ति(Power) के विभिन्न पहलुओं को समर्पित होती हैं। आमतौर पर त्योहार(festival) का पहला दिन देवी दुर्गा(Goddess Durga) के पहलुओं(Aspects) पर केंद्रित होता है, दूसरा दिन देवी लक्ष्मी(Goddess Lakshmi) पर और अंतिम दिन देवी सरस्वती(Goddess Saraswati) पर। अक्सर देवी-देवताओं और उनके विभिन्न पहलुओं को प्रसाद चढ़ाया जाता है, और उनके सम्मान में अनुष्ठान(ritual) किए जाते हैं।

एक लोकप्रिय अनुष्ठान कन्या पूजा(Kanya Puja) है, जो आठवें या नौवें दिन होती है। इस अनुष्ठान(Ritual) में नौ युवा लड़कियों को नवरात्रि(Navratri) के दौरान मनाए जाने वाले नौ देवी पहलुओं(Nine Goddess Aspects) के रूप में तैयार किया जाता है और उन्हें पैर धोने और भोजन और वस्त्र जैसे प्रसाद के साथ पूजा की जाती है।

Maa Durga
शारदीय नवरात्र: Maa Durga

मां दुर्गा के कौन-कौन से वाहन हैं

दरसल ज्योतिषशास्त्र(Astrology) और भागवत पुराण(Bhagavata Purana) के अनुसार मां दुर्गा(Maa Durga) का आगमन आने वाले भविष्य(Future) की घटनाओं(Events) के बारे में हमें संकेत(Indication) देता है और चेताता है। देवीभाग्वत पुराण(Devi Bhagvat Purana) में इस बात का जिक्र है की माँ दुर्गा के आगमन(arrival) का अलग-अलग वाहन(Vehicle) है। माना जाता है कि अगर नवरात्रि(Navratri) की शुरुआत सोमवार या रविवार को हो रही है तो इसका मतलब है कि माँ दुर्गा हाथी(Elephant) पर सवार होके आएंगी।

वहीं अगर शनिवार या फिर मंगलवार को कलश स्थापना(Kalash Sthaapana) होती है तो मां दुर्गा घोड़े(Horse) पर सवार होकर आती है। और यदि गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र(Navratri) का आरंभ होता है तो माँ दुर्गा डोली(Doli) पर सवार होकर आती हैं। वहीं बुधवार के दिन नवरात्रि(Navratri) का आरंभ होने पर मां दुर्गा नाव(Boat) को अपनी सवारी बनाती हैं।

9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 स्वरुपों(9 Swaroop) की पूजा अर्चना की जाएगी। ये नौ दिन शक्ति को समर्पित(dedicated to power) किए जाते हैं। नवरात्रि(Navratri) के प्रथम दिन मां शैलपुत्री(Maa Shailputri) की पूजा के साथ घटस्थापना (कलश स्थापना) की जाती है। कलश को गणेश जी का प्रतीक(Symbol of Ganesh) माना जाता है, जल से भरे हुए कलश को सुख-समृद्धि और संपन्नता(happiness and prosperity) का प्रतीक माना जाता है। इसलिए सर्वप्रथम कलश स्थापना करके उसका पूजन किया जाता है।

वास्तु(Architectural) में पूजा करने के स्थान के बारे में भी दिशा(Direction) का महत्व बताया गया है इसलिए कलश की स्थापना(Kalash Sthaapana) और मां दुर्गा की चौकी(Chaukee) लगाते समय भी दिशा(Direction) का बिशेष ध्यान रखना आवश्यक है। वास्तु(Vashtu) के अनुसार घर के उत्तर-पूर्व(northeast) दिशा को पूजा का सही स्थान माना जाता है। इस दिशा(direction) को देवताओं की दिशा माना गया है इसलिए इस दिशा में सबसे ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा(positive energy) का संचार रहता है।

नवरात्रि(Navratri) में मां की प्रतिमा और कलश स्थापना घर के उत्तर-पूर्व(Northeast) दिशा में ही करें। कलश स्थापित करने से पहले उस स्थान को अच्छी तरह से स्वच्छ करके गंगाजल(Gangajal) से पवित्र कर लें। उसके बाद कलश के ऊपर स्वास्तिक(swastika) का चिह्न बनाए और कलश में जल भरें।

अब कलश के मुंह की किनारी की ओर मौली(Molly) को लपेटे तत्पश्चात् कलश में सिक्का(Coin), सुपारी(Nuts) और अक्षत डालें। मिट्टी में जौं मिलाकर पूजा स्थान के पास ही लकड़ी की चौकी(wooden post) पर वेदी बनाएं और कलश को स्थापित करें। कलश के ऊपर लाल रंग के कपड़े में नारियल(Coconut) लपेट कर रखें। 

नवरात्रि(Navratri) के दिनों में प्रतिदिन मां की पूजा अर्चना करते हैं कुछ लोग अखंड ज्योति(Akhand Jyoti) भी प्रज्वलित करते हैं, वास्तु(Architectural) के अनुसार दीपक प्रज्वलित करते समय ध्यान रखें की ज्योति का मुंह पूर्व-दक्षिण(east-south) दिशा की ओर होना चाहिए।

नवरात्रि(Navratri) के दिनों में लोग अपने घर की छत पर ध्वजा(Flag) भी लगाते हैं। ध्वजा(Flag) को लगाते समय भी दिशा(Direction) का ध्यान रखना आवश्यक होता है। वास्तु(Architectural) के अनुसार ध्वजा की स्थापना उत्तर-पश्चिम(North West) दिशा में होनी चाहिए।

माता रानी के 9 स्वरूप

9 Roop Maa Durga
Maa Durga 9 Roop

नवरात्रि(Navratri) में मां के 9 स्वरूपों(9 Swaroop) की पूजा की जाती है। इस दौरान शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जाती है। ये सभी मां के नौ स्वरूप(9 Forms) माने जाते हैं। प्रथम दिन घटस्थापना(Ghat Sthaapana) होती है। शैलपुत्री को प्रथम देवी के रूप में पूजा जाता है। 9 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रत(Fast) और पूजा(Puja) का विशेष महत्व बताया गया है। 

जानें कब किस देवी की पूजा होगी

नवरात्रि दिन 1(Day 1): मां शैलपुत्री पूजा (घटस्थापना)

नवरात्रि दिन 2(Day 2): मां ब्रह्मचारिणी पूजा

नवरात्रि दिन 3(Day 3): मां चंद्रघंटा पूजा

नवरात्रि दिन 4(Day 4): मां कुष्मांडा पूजा

नवरात्रि दिन 5(Day 5): मां स्कंदमाता पूजा

नवरात्रि दिन 6(Day 6): मां कात्यायनी पूजा

नवरात्रि दिन 7(Day 7): मां कालरात्रि पूजा

नवरात्रि दिन 8(Day 8): मां महागौरी दुर्गा पूजा

नवरात्रि दिन 9(Day 9): मां सिद्धिदात्री पूजा

कैसे करें घट स्थापना व देवी आराधना

नवरात्र शक्ति का पर्व(festival of power) है, हिन्दू धर्म(Hindu religion) में इस पर्व को विशेष महत्व दिया गया है। सुबह के शुभ मुहूर्त(auspicious time) में घट स्थापित किया जाएगा। नौ दिनों(Nine days) तक माँ के अलग-अलग स्वरूपों की विभिन्न पूजा उपचारों से पूजन, अखंड दीप साधना, व्रत उपवास, दुर्गा सप्तशती व नवार्ण मंत्र का जप करें। अष्टमी को हवन व नवमी को नौ कन्याओं(nine girls) का पूजन करें।

माँ के नौ स्वरूपों की अलग-अलग पूजा की जाती है

नवरात्रि(Navratri) के पहले दिन घट स्थापना(Ghat Sthaapana) के साथ ही नवरात्रि शुरू हो जाती हैं। साथ ही विभिन्न पंडालों में मां दुर्गा(Maa Durga) की प्रतिमा(Statue) स्थापित कर मां शक्ति की आराधना(worship) की जाती है। नवरात्रि पर मां दुर्गा(Maa Durga) के धरती पर आगमन का विशेष महत्व होता है।

देवीभागवत पुराण(Devi Bhagwat Purana) के अनुसार नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा(Maa Durga) का आगमन भविष्य(Future) में होने वाली घटनाओं(Events) के संकेत के रूप में भी देखा जाता है। हर वर्ष नवरात्रि(Navratri) में देवी दुर्गा का आगमन अलग-अलग वाहनों(Vehicles) में सवार होकर आती हैं और उसका अलग-अलग महत्व(importance) होता है।

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नवरात्रि में किस दिन कौन सी देवी की पूजा करें

नवरात्रि(Navratri) में प्रतिपदा, को मां शैलपुत्री(Maa Shailputri) की पूजा है। वहीं, द्वितीया, को मां ब्रह्मचारिणी(Maa Brahmacharini) की पूजा होगी, तृतीया, को मां चन्द्रघंटा(Maa Chandraghanta) की पूजा की जाएगी, चतुर्थी को मां कुष्मांडा(Maa Kushmanda) की पूजा होगी। पंचमी को मां स्कंदमाता(Maa Skandmata) और षष्ठी को मां कात्यायनी(Maa Katyayani) की पूजा की जाएगी। सप्तमी को मां कालरात्रि(Maa Kalratri) की पूजा होगी।

मां शैलपुत्री (Maa Shailaputri)

pratham shailputri
Pratham Shailputri

व्युत्पत्ति: शैलपुत्री का शाब्दिक अर्थ है पहाड़ (शिला) की बेटी (पुत्री)

माँ प्रकृति का पूर्ण रूप है और ब्रह्मा, विष्णु और महादेव की शक्ति का अवतार है।

पूजा का दिन: नवरात्रि का पहला दिन

शासी ग्रह: चंद्रमा

मंत्र: ॐ देवी शैलपुत्र्यै नम:

देवी शैलपुत्री को दो हाथों से दर्शाया गया है और उनके माथे पर अर्धचंद्र है। वह अपने दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाईं ओर कमल का फूल रखती है। वह नंदी पर सवार होती है

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।

मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini)

maa brahmacharini
Maa Brahmacharini

व्युत्पत्ति: “ब्रह्म” का अर्थ है “एक आत्म अस्तित्व आत्मा, पूर्ण वास्तविकता, सार्वभौमिक स्व, व्यक्तिगत भगवान, पवित्र ज्ञान”। “चारिणी” का अर्थ है, “व्यस्त, आगे बढ़ना, व्यवहार, आचरण, साथ चलना, भीतर जाना, बाद जाना”। वह तपस्या की देवी हैं, क्योंकि उनका नाम ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली महिला के समान है।

पूजा का दिन: नवरात्रि का दूसरा दिन

शासी ग्रह: मंगल

मंत्र: ऊँ देवी ब्रह्मचारीय नमः

नंगे पैर, अपने दाहिने हाथ में एक जप माला और बाएं हाथ में एक कमंडलु लेकर चलती हैं।

या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

मां चन्द्रघंटा (Maa Chandraghanta)

maa chandraghanta
Maa Chandraghanta

व्युत्पत्ति : चंद्रघंटा शब्द चन्द्र से बना है जिसका अर्थ है चंद्र और घण्टा जिसका अर्थ है घंटी

चंद्रघंटा के बारे में देवी का विवाहित रूप है। शिवजी से विवाह करने के बाद, उन्होने अपने माथे को घंटी की तरह आकार के आधे चाँद से सजाया, जो उनके नाम की उत्पत्ति के बारे में बताता है। वह एक ऐसी देवी हैं जो एक व्यक्ति में साहस की प्रेरणा देती हैं और राक्षसों के खिलाफ युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहती हैं।

पूजा का दिन: नवरात्रि का तीसरा दिन

शासी ग्रह: शुक्र

मंत्र: ऊँ देवी चन्द्रघण्टायै नम:

मां की उपासना का मंत्र

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda)

maa kushmanda
Maa Kushmanda

व्युत्पत्ति : कु का अर्थ है “थोड़ा”, उस्मा का अर्थ है “गर्माहट” या “ऊर्जा” और संस्कृत के अंतिम तीन शब्दों से लिया गया “ब्रह्माण्ड” का अर्थ है “ब्रह्मांड”।

सिद्धिदात्री का रूप लेने के बाद, देवी सूर्य के अंदर रहने लगीं, जिसके परिणामस्वरूप ब्रह्मांड को सूर्य की ऊर्जा से मुक्ति मिली। तब से, देवी के इस रूप को उनकी शक्ति और सूर्य के अंदर रहने की क्षमता के लिए, कुष्मांडा के रूप में जाना जाता है। माँ के शरीर की चमक सूर्य के समान चमकदार है।

पूजा का दिन: नवरात्रि का 4 वां दिन

शासी ग्रह: सूर्य

मंत्र: ऊँ देवी कूष्माण्डायै नम:

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां स्कंदमाता (Maa Skandamata)

devi skandamata
Devi Skandamata

युद्ध देवता स्कंद (कार्तिकेय) की माता।

पूजा का दिन: नवरात्रि का 5 वां दिन

शासी ग्रह: बुध

मंत्र: ऊँ देवी स्कन्दमातायै नम:

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

मां कात्यायनी (Maa Katyayani)

maa katyayani
Maa Katyayani

राक्षस महिषासुर को नष्ट करने के लिए, पार्वती ने ऋषि कात्यायन की बेटी के रूप में अवतार लिया, और देवों की मदद की। वह अपने क्रोध, प्रतिशोध और राक्षसों पर परम विजय के लिए जानी जाती हैं।

पूजा का दिन: नवरात्रि का छठा दिन

शासी ग्रह: बृहस्पति

मंत्र: ऊँ देवी कात्यायन्यै नम:

देवी कात्यायनी एक शानदार शेर पर सवार होती हैं और उन्हें चार हाथों से दर्शाया गया है। वह अपने बाएं हाथों में क्रमशः कमल का फूल और तलवार धारण करती है और अपने दाहिने हाथों को अभयमुद्रा और वरदमुद्रा में रखती है।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कालरात्रि (Maa Kalratri)

Maa Kalaratri
Maa Kalratri

यह देवी का सबसे उग्र और सबसे क्रूर रूप है, जिसमें पार्वती राक्षसों के शुंभ और निशुंभ को नष्ट करने के लिए प्रकट होती हैं। कालरात्रि, अर्थात् मृत्यु की रात। हर समय, प्रकाश, भावनाओं, जीवन रूपों और अन्य सभी उसमें मिलते हैं। वह समय की मृत्यु है और स्वयं काल (समय) से अधिक है।

पूजा का दिन: नवरात्रि का 7 वां दिन

शासी ग्रह: शनि

मंत्र: ऊँ देवी कालरात्रिाय नम:

उनका रंग गहरा काला है और वह गधे पर सवार है। उन्हें चार हाथों से दर्शाया गया है। उनके दाहिने हाथ अभयमुद्रा और वरदमुद्रा में हैं। वह अपने बाएं हाथों में तलवार और घातक लोहे का त्रिशूल लिए होती है।

ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:

महागौरी (Mahagauri)

maha gauri
Maha Gauri

महागौरी को पवित्रता और स्वच्छता की देवी के रूप में जाना जाता है। जो मनुष्य उसे प्रसन्न करेगा, उसकी कृपा से उसके सभी दोष, और गलतियाँ जलकर राख हो जाएँगी। सिद्धिदात्री वह है जो अज्ञानता को दूर करती है और वह सच्ची वास्तविकता का एहसास करने के लिए ज्ञान प्रदान करती है। वह जो सिद्धि प्रदान करता है, वह यह है कि वह केवल अस्तित्व में है। वह सभी उपलब्धियों की मालकिन हैं।

उनके बहुत साफ रंग के कारण, वह महागौरी के रूप में जानी जाती हैं।

पूजा का दिन: नवरात्रि का 8 वां दिन

शासी ग्रह: राहु

मंत्र: ऊं देवी महागौर्यै नमः

वह देवी शैलपुत्री की तरह बैल की सवारी करती है। उनकी चार भुजाएँ हैं, उनके एक दाहिने हाथ में त्रिशूल और दूसरे दाहिने हाथ के साथ अभयमुद्रा को दर्शाया गया है। वह एक बाएँ हाथ में डमरू उठाती है और अपने दूसरे बाएँ हाथ में वरदमुद्रा या कमंडलु दर्शाती है।

शक्तियाँ: वह क्षमा करने वाली देवी के रूप में जानी जाती हैं और पापियों को क्षमा करती हैं और उन्हें शुद्ध करती हैं।

या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri)

maa siddhidatri
Maa Siddhidatri

ब्रह्मांड की शुरुआत में, भगवान रुद्र ने सृष्टि के लिए देवी माँ आदिशक्ति के अव्यक्त रूप की पूजा की। आदिशक्ति के रूप में, देवी का कोई रूप नहीं था, वह इस प्रकार सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट हुईं और भगवान शिव के बाएं आधे भाग से आईं।

पूजा का दिन: नवरात्रि का 9 वां दिन

शासी ग्रह: केतु

मंत्र: ऊं या देवी सिद्धिदात्रीयै नमः

प्रतीक चिह्न: देवी सिद्धिदात्री कमल पर बैठती हैं या बाघ या शेर पर सवार होती हैं। उसे चार हाथों से दर्शाया गया है। उसके एक दाहिने हाथ में गदा, दूसरे दाहिने हाथ में एक चक्र, दूसरे हाथ में कमल का फूल और दूसरे बाएं हाथ में शंख है।

शक्तियाँ: वह अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं और इसलिए उनकी पूजा मनुष्यों, गन्धर्वों, असुरों और देवों ने भी की है।

सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैररमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

Navratri kab se shuru hai

Chaitra Navratri

चैत्र नवरात्रि(Chaitra Navratri) नौ दिनों तक चलने वाला हिंदू त्योहार(Hindu Festival) है। यह हिंदू चंद्र कैलेंडर(Hindu lunar calendar) के पहले दिन से शुरू होता है। यह त्योहार देवी शक्ति(Goddess Power) या देवी दुर्गा के नौ अवतारों(nine incarnations) की पूजा का प्रतीक है। हर साल, यह शुभ हिंदू त्योहार(Hindu Festival) अप्रैल और मार्च के महीने में मनाया जाता है। यह चैत्र(Chaitra) के हिंदू महीने में मनाया जाता है और देवी दुर्गा(Goddess Durga) के नौ अवतारों को समर्पित है।

Chaitra Navratri kab se shuru hai

Chaitra Navratri Date

Wednesday 22 March 2023 to Thursday 30 March 2023

Shardiya Navratri

हिंदू पंचांग(Hindu calendar) के अनुसार हर वर्ष पितृपक्ष के समाप्ति के बाद अगले दिन से ही शारदीय नवरात्रि(Shardiya Navratri) शुरू हो जाते हैं। हिंदू धर्म(Hindu Religion) में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि(Navratri) के नौ दिनों में मां दुर्गा(Maa Durga) के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। इस काल में पूजन पाठ(worship text), व्रत उपवास(Fasting) और साधना का विशेष महत्व रहता है। इसके बाद विवाह, मुंडन आदि मंगल कार्य(festive occasion) शुरू हो जाते हैं।

जानें शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व

ऐसी मान्यता(Recognition) है कि शारदीय नवरात्रि(Shardiya Navratri) माता दुर्गा की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। नवरात्र के इन पावन दिनों(holy days) में हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है, जो अपने भक्तों(devotees) को खुशी, शक्ति और ज्ञान प्रदान करती है. नवरात्रि(Navratri) का हर दिन देवी के विशिष्ठ रूप को समर्पित(Dedicated) होता है और हर देवी स्वरुप की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ(Wish) पूर्ण होते हैं। नवरात्रि का पर्व शक्ति की उपासना(worship) का पर्व माना जाता है।

नवदुर्गा (दुर्गा के नौ रूप), हिंदू धर्म(Hindu Religion) में देवी दुर्गा की नौ अभिव्यक्तियां(Expressions) हैं, विशेष रूप से नवरात्रि(Navratri) के त्योहार के दौरान पूजा की जाती है, जहां प्रत्येक रात के लिए क्रमशः नौ प्रकट रूपों(nine manifest forms) की पूजा की जाती है। देवी पार्वती के नौ रूप हैं: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।

Shardiya Navratri kab se shuru hai

Shardiya Navratri Date

Sunday 15 October 2023 to Monday 23 October 2023

 

Navratri wishes in Hindi

माता रानी आपका भला करे

नवरात्रि के इस शुभ अवसर पर,

और इस त्योहारी सीजन में धन,

यश और समृद्धि आपके घर आते रहें,

हैप्पी नवरात्रि दोस्तों

 

देवी दुर्गा खुशियों की वर्षा करें

आप और आपके परिवार पर उनका

आशीर्वाद हमेशा बना रहे।

हैप्पी नवरात्रि !!

 

इस नवरात्रि अपने जीवन को सुख और समृद्धि के रंगों से भरें

आपको और आपके परिवार को नवरात्रि की शुभकामनाएं।

 

यह नवरात्रि हमेशा की तरह उज्ज्वल हो

यह गायन और नृत्य का जश्न मनाने का समय है

माँ आप पर हर प्रकार से कृपा करें

हैप्पी नवरात्रि

 

Navratri wishes in English

Maa Durga came to your door with kumkum filled steps,

You get immense wealth,

Please accept my best wishes for Navratri!

 

Mother’s court decorated with red color,

A joyful mind, a pulsating world,

Mother came to your door with her holy footsteps,

Happy Navratri festival to you!

 

New lamps burn, new flowers bloom,

Meet new spring,

On this holy festival of Navratri

May you be blessed by Mata Rani.

 

This is the festival of worship of mother.

It is a festival of devotion to the nine forms of Mother.

It is the festival of making bad deeds,

It is the festival of burning the lamp of devotion in the heart.

Happy Navratri

 

Navratri Quotes in Hindi

देवी दुर्गा शक्ति की एक अवतार हैं जिन्होंने दुनिया की बुराइयों पर विजय प्राप्त की। इस नवरात्रि, हर कोई जीवन में अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए उनके आशीर्वाद और शक्ति का उपयोग करे। आपको नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनाएं!

नव दुर्गा अपनी सर्वोच्चता के साथ हमें अनुग्रहित करने के लिए हमारी उपस्थिति में आई हैं, आइए हम खुशी और आत्मा के साथ उनकी पूजा करें और उनके आशीर्वाद को संजोएं और अपने प्रियजनों के साथ मनाएं, आप सभी को नवरात्रि की शुभकामनाएं!

ईश्वरीय उपस्थिति और माता रानी आपके जीवन में लालित्य लाए,

इस नवरात्रि आपको वह सब कुछ प्रदान करें जो आपको चाहिए। हैप्पी नवरात्रि!

माँ दुर्गा आपको और आपके परिवार को

आशीर्वाद के 9 रूपों के साथ- प्रसिद्धि, नाम, धन,

समृद्धि, खुशी, शिक्षा,

स्वास्थ्य, शक्ति और प्रतिबद्धता प्रदान करे।

हैप्पी नवरात्रि

मेरी कामना है कि जीवन में सभी समस्याओं से आपकी रक्षा करने के लिए देवी दुर्गा हमेशा मौजूद रहें।

यह नवरात्रि आपके लिए खुशियों और अच्छे स्वास्थ्य से भरपूर हो।

आपको नवरात्रि की शुभकामनाएं

Happy Navratri to all of you

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*Source: Google & Wikipedia

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